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उत्तर प्रदेश में सिंचाई विभाग में बड़ा घोटाला! ठेकों के बचे हुए धन को फर्जी बिलों के जरिए किया जा रहा हड़प – सूत्र

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में ठेकों से बचे हुए धन को फर्जी बिलों के जरिए हड़पने का मामला सामने आया है।

उत्तर प्रदेश में सिंचाई विभाग में बड़ा घोटाला! ठेकों के बचे हुए धन को फर्जी बिलों के जरिए किया जा रहा हड़प – सूत्र

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में ठेकों से बचे हुए धन को फर्जी बिलों के जरिए हड़पने का मामला सामने आया है। यह घोटाला सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने वाला बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, विभागीय अधिकारी ठेकों में बची हुई राशि को नियमों के तहत सरकार के खाते में जमा करने के बजाय फर्जी बिल बनाकर निकाल रहे हैं।

 

कैसे हो रहा घोटाला?

 

सूत्रों का कहना है कि: अगर किसी ठेके की लागत ₹1,23,656 थी और काम ₹1,23,551 में पूरा हो गया, तो बचे हुए ₹105 सरकार के खाते में जमा होने चाहिए। लेकिन हकीकत में, यह रकम हजारों-लाखों में होती है, जिसे फर्जी बिलों के जरिए निकाल लिया जाता है।

 

वित्तीय नियमों के अनुसार, ठेकों में बची हुई रकम को सार्वजनिक वित्त प्रबंधन अधिनियम, 1976 और सरकारी खाता नियमावली, 1983 के तहत सरकार के खजाने में वापस जाना चाहिए। लेकिन सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों पर आरोप है कि वे फर्जी बिल बनाकर इस धन को गबन कर रहे हैं।

 

सरकार की निगरानी व्यवस्था पर सवाल

 

यह मामला सरकारी वित्तीय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सवाल यह भी है कि क्या यह घोटाला अकेले सिंचाई विभाग तक सीमित है, या अन्य विभागों में भी इसी तरह सरकारी पैसे की बंदरबांट हो रही है?

 

सरकार को चाहिए कि वह सभी जिलों में जांच करवाए कि बचे हुए धन को किन बिलों के आधार पर खर्च किया गया है। यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो यह उत्तर प्रदेश के इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक हो सकता है।

 

जांच की मांग, RTI से खुल सकता है बड़ा घोटाला

 

विभागीय अनियमितताओं का पर्दाफाश करने के लिए RTI के जरिए ठेकों का पूरा रिकॉर्ड मांगा जा सकता है –

 

कितने ठेके पास हुए?

 

कितनी राशि स्वीकृत हुई और कितना खर्च हुआ?

 

बची हुई रकम कहां गई और किन बिलों पर खर्च हुई?

 

 

यदि जांच एजेंसियां इस मामले को गंभीरता से नहीं लेतीं, तो इसे लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) दायर करने की भी तैयारी चल रही है।

 

प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रही आशंका

 

इस मामले पर अब तक सरकार या सिंचाई विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। क्या यह चुप्पी मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है? या फिर सरकार जल्द ही किसी बड़ी कार्रवाई के संकेत देगी? यह देखना बाकी है।

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